Gehu ki kheti: गेहूं की खेती करने का आसान तकनीक, जानियें बुआई से लेकर कटाई तक पूरी जानकारी।

Gehu ki kheti: किसान धान की कटाई के शीघ्र ही गेहूँ की खेती की तैयारी मे लग जाते है गेहूं की फसल रबी की प्रमुख फसलों मे से एक है। गेहूँ रबी ऋतु मे उगाई जाने वाली फसल है, गेहूँ उत्पादन मे हमारे भारत देश का प्रमुख्य स्थान है भारत मे खाद्यान्न उत्पादन मे गेहूँ का धान के बाद दूसरा स्थान पर आता है। गेहूँ की फसल से अनाज के साथ-साथ भूसे के रूप मे अधिक चारा भी किसानों को प्राप्त होता है. गेहूँ से पर्याप्त चारा को किसान अपने पशुओ के आहार मे उपयोग करते है। गेहूँ प्रोटीन, विटामिन अथवा कार्बोहाइड्रेट का स्त्रोत है यह संतुलित भोजन प्रदान करता है गेहूँ के दाने मे ग्लूटिन नामक प्रोटीन भी पाया जाता है। भारत में उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के रिपोर्ट के मुतबिक 2020-21 के दौरान भारत से 4,037.60 करोड़ रुपए / 549.70 अमरीकी मिलियन डॉलर की कीमत पर 20,88,487.66 मीट्रिक टन गेहूं निर्यात किया गया था।

Gehu ki kheti : गेहूं की खेती करने का आसान तकनीक, जानियें बुआई से लेकर कटाई तक पूरी जानकारी।
Gehu ki kheti : गेहूं की खेती करने का आसान तकनीक, जानियें बुआई से लेकर कटाई तक पूरी जानकारी।

गेहूं की खेती हमारे देश के लगभग अनेक राज्यों मे गेहूं की खेती की जाती हैं गेहूँ न सिर्फ एक पौष्टिक आहार है जबकि बिस्कुट, केक, ब्रेड उधोग के लिए अति आवश्यक फसल है क्योंकि गेहूं से कई प्रकार के उत्पाद बनाये जाते हैं इन उत्पादों की मांग बाजारों मे अधिक होता हैं जिससे गेहूं से उत्पाद बनाने वाली कंपनियां अधिक आमदनी कमाती हैं। अगर गेहूं की खेती सही समय पर एवं सही तरीके से की जाए तो किसानों को अच्छी उपज मिलती हैं। गेहूं की कई ऐसी किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं देश के कृषि विश्वविद्यालयो द्वारा विकशित किया गया है जो अलग-अलग क्षेत्रों के वातावरण एवं मिट्टी मे अच्छी उपज देती हैं।

गेहूं की खेती के लिए मिट्टी अथवा जलवायु

Gehu ki kheti: गेहूँ ठंडे मौसम की फसल हैं इसकी फसल के लिए अनेक अवस्थाओ पर अलग -अलग तापमान की जरूरत होती है। गेहूं के बीज के अंकुरण के लिए 20-25 डिग्री सेन्टीग्रेड का तापमान उचित माना जाता हैं और बढ़वार के लिए 27 डिग्री सेन्टीग्रेड से अधिक तापमान होने पर विपरीत प्रभाव होता हैं और पौधों की सुचारु रूप से बढ़वार नही हो पाती हैं। गेहूं मे फूल आने के समय कम तथा अधिक तापमान गेहूं के फसल के लिए हानिकारक होता हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं की उत्पादकता पर पतिकूल प्रभाव पर सकता है।

वैसे तो गेहूं की खेती हर तरह की मिट्टी मे की जा सकती हैं लेकिन गेहूं की अधिक पैदावार के लिए दोमट अथवा बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। जल निकासी एवं सिचाई के उचित प्रबंधन से मटियार और रेतीली मिट्टी मे भी गेहूँ की खेती की जा सकती है। गेहूँ की खेती के लिए मिट्टी का पी0 एच0 मान 6.5 से 7.5 अच्छा माना जाता है। ऐसी भूमि जिसमे जल जमाव होता हो इसकी खेती के लिए अच्छा नहीं माना जाता हैं क्योंकि गेहूं की फसल मे अधिक पानी लगने से गेहूं की फसल में पीले होने पर नष्ट हो जाती हैं

1 हेक्टेयर मे बुवाई के लिए गेहूं की बीज की मात्रा

Gehu ki kheti: 1 हेक्टेयर मे गेहूं की खेती करने के लिए 100 कि/ग्रा बीज की जरूरत होती हैं। वहीं अगर सिंचित क्षेत्रों मे देरी से गेहूं की बुवाई की जा रही हैं तो ऐसे मे 125 कि/ग्रा गेहूं की बीज की जरूरत होती हैं। किसानों को ये सुझाव दिया जा रहा है कि गेहूं की खेती करने पर हमेशा प्रमाणित बीजों का ही बुआई करें

गेहूं के बीज का बीजोपचार

Gehu ki kheti: गेहूं की बुवाई से पहले इसके बीजों को उपचारित करना खासकर अच्छा माना जाता हैं उपचारित बीज से बीज जनित रोग होने का भय नहीं रहता है अथवा अंकुरण भी अच्छा होता है। बीजों को उपचारित करने के लिए बुआई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थाइरम या 2.5 ग्राम मैंन्कोजेब या टेबुकोनोजोल 1 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए।

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