wheat crops: गेहूं की फसल देरी से बो रहे हैं तो इन प्रजातियों से पा सकते हैं अच्छी पैदावार

wheat crops गेहूं की खेती करने में फसल की बुवाई कम समय अवधि में की जाती है। उदाहरण के तौर पर मैदानी भाबर एवं तराई के क्षेत्रों में सिंचित स्थानों पर गेहूं की अगेती बुआई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर मध्य नवंबर तक की जानी चाहिए।

wheat crops
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wheat crops समय से गेहूं की बुवाई 20 नवंबर तक की जाती है। मध्यम देरी से बुवाई करने का उचित समय नवंबर अंतिम सप्ताह से लेकर 10 दिसंबर तक होता है। इसी के साथ -साथ ज्यादा देरी से बुआई करने का समय दिसंबर का दूसरा पखवाड़ा माना जाता है।

बुवाई के समय के अनुसार उन्नत किस्मों का चुनाव करने के साथ-साथ खेत की तैयारी एवं बुवाई के तौर-तरीकों में परिवर्तन और आवश्यक सावधानी की जरूरत रहती है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए यह बहुत ही जरुरी है कि गेहूं की बुआई करते समय क्षेत्र के अनुसार अनुमोदित किस्म का ही चयन किया जाए।

wheat crops
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बीज की उचित मात्रा को बीज शोधन एवं उपचार करने पर ही बुआई करें एवं बुआई करने के लिए इस प्रकार बीज डालें, जिसके कारण प्रति इकाई क्षेत्रफल में पौधों की संख्या पर्याप्त प्राप्त हो सके।

wheat crops यहां पर यह मध्यम देरी से बुवाई करने का समय चल रहा है, जिसमें परिस्थितिवश धान की अधिक लंबी अवधि वाली प्रजातियों एवं गन्ने की पीढ़ी फसल कटाई के पश्चात गेहूं की बुवाई करना बहुत बड़ा कारण रहता है।
गेहूं के कुल बुवाई क्षेत्रफल का लगभग 30 से 40 फीसदी क्षेत्रफल मध्यम देरी से बुवाई करने के अंतर्गत आता है। जिन क्षेत्रों में मक्का अथवा धान की फसल के बाद तोरिया एवं सब्जी मटर की खेती करने पर ज्यादा देरी से गेहूं की बुआई की जाती है, उन क्षेत्रों में पैदावार काफी कम प्राप्त रहने की असंका होती है। उन क्षेत्रों के लिए विशेष तरह की कम अवधि में तैयार होने वाली वैराइटी का ही चुनाव किया जाता है, ऐसा फसल चक्र पछवादून के विकासनगर एवं सहसपुर अथवा डोईवाला के कई एरिया में अधिकता से पाया जाता है।

wheat crops फसल की पकने की अवधि के अनुसार ही उसकी बुवाई का समय निश्चित किया जाता है। यदि फसल की बढ़वार अधिक लंबे समय में तैयार होकर परिपक्वता की स्थिति प्राप्त करें तो ऐसी वैराइटी की जल्दी बुआई करनी चाहिए।

wheat crops जिस फसल में पकने की अवधि जल्दी आती हो, उस की बुवाई देरी से की जा सकती है। पछेती बुवाई में यदि 15 दिसंबर के बाद गेहूं की बुवाई की जाती है तो जिसमे पौधों की बढ़वार कम, जमाव भी कम एवं उपज कम प्राप्त होता है, जिसका सबसे बड़ा कारण ये है कि फसल की बढ़वार कम होने के कारण उसकी उपज अवस्था छोटी हो जाती है।

फरवरी माह में तापक्रम अधिक बढ़ जाने के कारण उसकी वृद्धि एवं विकास पर को प्रभाव पड़ने के कारण गेहूं की बालियां कम दाने का भार प्राप्त होता है, जिसके द्वारा प्रति हेक्टेयर उपज कम प्राप्त होती है।wheat crops


wheat crops यहां पर ध्यान देने योग्य बात ये है कि कौन-कौन सी ऐसी वैराइटी हैं, जिनको हम पछेती अवस्था में बुआई कर अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं, जैसे UP 2944, UP 28 44, UP 2865, UP 2526, UP 2565, WH. Select 1124, HD 3059, PBW 590, DBW 73, DBW 71, Raj 3765, Raj 3077, UP 2944 एवं नवंबर की अंतिम सप्ताह से लेकर दिसंबर प्रथम सप्ताह तक बुवाई करने के लिए DBW187 अथवा HD3086 का चयन करें।

खेत की तैयारी करते समय ध्यान रखें कि बुवाई के समय पर खेत में नमी का स्तर काफी अच्छा हो। इसके लिए यदि फसल की कटाई में देरी लग रही हो, जैसे गन्ने की कटाई करते समय खेत खाली नहीं होना एवं उसमें गेहूं की बुआई किया जाना हो, तो खड़े गन्ने में सिंचाई कर देनी चाहिए।

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