Agriculture News: किसानों के चेहरे पर फिर से खिली मुस्कान: गन्ने की फसल में कैंसर रोग का अंत नजदीक

सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद गन्ने की फसल में लगने वाले कैंसर रोग की रोकथाम के लिए चीनी मिल प्रतिनिधियों और प्रदेश भर के गन्ना किसानों को प्रशिक्षण दे रहा है. गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक चीनी मिल प्रतिनिधि एवं गन्ना किसानों को बता रहे हैं कि गन्ने में लगने वाले लाल सड़न रोग मतलब कैंसर से कैसे बचा जा सकता है?

यूपी गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक प्रशिक्षण के द्वारा लाल सड़न रोग से बचाव के सुझाव बता रहे हैं. वैज्ञानिकों का बताया है कि गन्ने में अधिक लगने वाले लाल सड़न रोग को रोकने के लिए ट्राइकोडर्मा फफूंद बेहद ही कारगर होगा. प्रशिक्षण में किसानों को फफूंद ट्राइकोडर्मा के प्रयोग एवं फायदे के बारे में बताया जा रहा है., किसानों की अधिक पसंदीदा गन्ने की किस्म कोसा0238 लाल सड़न रोग यानी कैंसर की कारण से बर्बाद हो गई. गन्ने की इस किस्म को बचाने के लिए गन्ना शोध परिषद के मध्य किसानों को ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करने के बारे में बताया गया है.

चीनी मिल प्रतिनिधियों को भी दिया गया प्रशिक्षण करने का कार्य

गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी सुनील कुमार का बताया है कि ट्राइकोडर्मा एक ऐसा फफूंद है जो मृदा जनित रोग को कम कर करता है जिससे गन्ने में लगने वाले लाल सड़न रोग को 90% रोका जा सकता है. प्रशिक्षण के द्वारा चीनी मिल प्रतिनिधियों को बताया गया कि ट्राइकोडर्मा का कल्चर को कैसे तैयार किया जाना चाहिए और ट्राइकोडर्मा को कैसे एवं कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया जाना है. चीनी मिल के प्रतिनिधि यहां प्रशिक्षण लेने के बाद अपनी लैब में ट्राइकोडर्मा को तैयार कर गन्ना किसानों को मुहैया कराया जायगा.

ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल और फायदे बताए गए

प्रशिक्षण के दौरान प्रदेश भर के किसानों को बताया गया कि ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल खेत में गन्ने की बुवाई करते समय गोबर या बालू में मिलाकर छिड़काव करना है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्राइकोडर्मा से मिट्टी का देखभाल करने से गन्ने की फसल में लगने वाला लाल सड़न रोग को रोका जा सकता है.

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