Sugarcane Varieties: शरद कालीन में गन्ने की इन पांच किस्मों की खेती कर कमाएं अच्छा मुनाफा, उत्पादन 34 टन प्रति एकड़

Sugarcane Cultivation: गन्ने की खेती से अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए किसान खाद-बीज पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन उन्नत किस्मों पर इतना ध्यान नहीं देते हैं, जिसके द्वारा उन्हें कम उपज प्राप्त होती है. ऐसे में आप भी शरद कालीन में गन्ने की खेती से बढ़िया फसल प्राप्त करना चाहते हैं, तो गन्ने की इन 5 किस्मों की खेती करें.

किसानों के लिए गन्ने की फसल नकदी फसलों में से एक बताई जाती है. गन्ने की खेती को किसान की आय का सबसे अधिक स्रोत माना जाता है. अगर आप भी अपने खेत में गन्ने की खेती करने के बारे में सोच रहे है, तो इसके लिए आपको याद रखना होता है. क्योंकि ये फसल 10 से 12 महीनों में तैयार होती है एवं साथ ही इस खेती में लागत भी ज्यादा लगती है. लेकिन जब किसान को इससे अच्छी उपज प्राप्त होती है अथवा बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है. तब किसान के चेहरे पर फसल की खुशी साफ देखती है.

अगर आप अपने खेत में गन्ने की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने की सोच रहे है, तो ऐसे में आपको गन्ने की नई एवं उन्नतशील किस्मों का चयन करना चाहिए. दरअसल, अच्छी किस्म फसल के गन्ने पर ही चीनी की उत्पादन निर्भर होता है. जानते हैं कि किसान शरद कालीन के दौरान अपने खेत में किस किस्म के गन्ने की खेती करेंगे.

गन्ने की सबसे अच्छी किस्में/ Best varieties of sugarcane

CO 0238 (करण-4):

गन्ने की ये उन्नत किस्म वर्ष 2008 में आईसीएआर के गन्ना प्रजनन संस्थान अनुसंधान केंद्र, करनाल एवं भारतीय गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर के मध्य विकसित की गई थी, जिसकी उपज क्षमता 32.5 टन प्रति एकड़ से ज्यादा है. गन्ने की यह किस्म कम पानी एवं साथ ही जलभराव की स्थिति में भी अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है.

गन्ने की किस्म CO-0118 (करण-2) :

ये किस्म लाल सड़न रोग के प्रतिरोधी है. इसे वैज्ञानिकों के द्वारा वर्ष 2009 में विकसित किया गया था. CO-0118 (करण-2) किस्म के गन्ने लंबे, द्वारा , मोटे एवं भूरे बैंगनी रंग के होते हैं. जबकि इस गन्ने की उपज क्षमता थोड़ी कम होती है. यह किस्म प्रति एकड़ में 31 टन से ज्यादा फसल की पैदावार देती है.

CO -0124 (करण-5):

गन्ने की ये किस्म वर्ष 2010 में गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान, करनाल अथवा गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान, कोयंबटूर के द्वारा विकसित की गई है. किसान इस किस्म की फसल से प्रति एकड़ खेत से करीब 30 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. यह फसल देरी से पकती है और ये किस्म भी लाल सड़न रोग के प्रतिरोधी है.

CO -0237 (करण-8):

इस गन्ने की किस्म को वर्ष 2012 में गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केंद्र करनाल के माध्यम तैयार की गई है. ये किस्म भी लाल सड़न रोग के प्रतिरोधी है. यह किस्म हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश अथवा मध्य उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए तैयार किया गया है. CO 0237 (करण-8) से किसान प्रति एकड़ 28.5 टन उपज प्राप्त कर सकते हैं.

CO 05011 (करण-9):

गन्ने की यह किस्म द्वारा लंबी, मध्यम मोटी, बैंगनी रंग के साथ हरे रंग की भी होती है. वहीं ये गन्ना बेलन के आकार का होता है. इस किस्म की खासियत ये है कि यह लाल सड़न एवं उकठा के प्रतिरोधी होती है. जिससे किसान प्रति एकड़ लगभग 34 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.

Leave a Comment