gahun news पूसा तेजस गेहूं – किसानो को मालामाल बना देंगी गेहूँ की यह धाकड़ किस्म, कम लागत में देंगी अधिक पैदावार देखे खेती करने का तरीका गेहूं रबी सीजन की सबसे अधिक बोई जाने वाली फसल है. धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की खेती की तैयारी शुरूआत कर देते हैं. दूसरी फसलों की ही प्रकार गेहूं की खेती में भी अगर उन्नत किस्मों का चयन किया जाए को किसान अधिक उत्पादन के साथ-साथ ज्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं. किसान इन किस्मों का चयन समय एवं उत्पादन को ध्यान में रखकर कर सकते हैं. आइये आपको बताते है इसकी अच्छी उपज किस्म की जानकारी।
पूसा तेजस गेहूं काले अथवा भूरे रतुए रोग के लिए प्रतिरोधी है
gahun news पूसा तेजस गेहूं की एक उन्नत और अद्वितीय किस्म जानी जाती है, जो किसानों को अच्छी उत्पादन और मोटी कमाई की संभावना प्रदान करती है। पूसा तेजस कठिया एवं ड्यूरम गेहूं की एक किस्म है, समय पर बुआई करने पर इस क़िस्म से कई अनेक किस्मों जैसे एमपीओ 1215 से 21.5 प्रतिशत, एचआई 8498 से 12.3 प्रतिशत और एचआई 8737 से 7.1% तक ज्यादा पैदावार देती है। गेहूं की ये किस्म काले एवं भूरे रतुए रोग के लिए प्रतिरोधी है। साथ ही यह किस्म उच्च तापमान के लिए भी सहिष्णु है। इसकी खासियत ये है कि यह अच्छी क्वालिटी के अनाज देती है, एवं 112 दिनों में ही फसल तैयार हो जाती है।
जानिए कैसे करे पूसा तेजस गेहूं की खेती
साधारण किस्मों के मुकाबले पूसा तेजस गेहूं के पौधे में 10 से 12 कट्टे अधिक निकलते हैं. इसके बुवाई से पहले खेतों में गहरी जुताई लगाकर मिट्टी को भुरभुरा बनाना चाहिये. इसके बाद गोबर की खाद एवं खरपतवार नाशी दवा का भी मिट्टी में स्प्रै करना चाहिये, इसलिए फसल में खरपतवारों की संभावना भी ना रहे.
gahun news पूसा तेजस गेहूं से 65 से 75 क्विंटल तक प्रति हेक्टर तक होगा उत्पादन
gahun news पूसा तेजस एचआई 8759 गेहूं किस्म ने अपनी विशेषताओं के कारण बहुत सी आँखों पर तमाचा मारा है। यह किस्म मध्य प्रदेश के किसानों के लिए खास रूप से उपयुक्त है और इसके बोने गए बीजों से आप 65 से 75 क्विंटल तक प्रति हेक्टर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह अच्छी क्वालिटी के अनाज प्रदान करती है, और 112 दिनों में ही फसल तैयार हो जाती है।
पूसा तेजस गेहूं की करे समय-समय पर निगरानी
gahun news पूसा तेजस गेहूं की फसल की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है ताकि आपको बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सके। समय-समय पर निगरानी करें, खरपतवार प्रबंधन में सतर्क रहें, निराई-गुड़ाई का ध्यान रखें, और कीट नियंत्रण और रोग प्रबंधन के उपायों का पालन करें।खरीफ की फसल के बाद भूमि में 150 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में दी जानी चाहिए। पूसा तेजस गेहूं की फसल की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है ताकि आपको बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सके। समय-समय पर निगरानी करें, खरपतवार प्रबंधन में सतर्क रहें, निराई-गुड़ाई का ध्यान रखें, एवं कीट नियंत्रण तथा रोग प्रबंधन के उपायों का पालन करें तो अच्छा फायदा लिया जा सकता है.